![]() |
सुप्रीम कोर्ट सुप्रीम कोर्ट ने 18 मई को Bharti Airtel, Vodafone, Idea और अन्य मोबाइल सेवा प्रदाताओं को दूरसंचार विभाग को देय बकाया राशि का स्वत: आकलन करने पर आड़े हाथ लिया था। |
दूरसंचार विभाग की ओर से सॉलिसिटर कॉमन तुषार मेहता ने कहा कि वह स्पष्ट करने के लिए हलफनामा दायर करेंगे कि सार्वजनिक उपक्रमों से समेकित सकल आय के आधार पर यह मांग क्यों की गई है। पीठ ने व्यक्तिगत दूरसंचार ऑपरेटर से एक हलफनामा दायर करने और यह स्पष्ट करने का अनुरोध किया कि वे समेकित सकल आय के लिए उत्कृष्ट बकाया राशि का भुगतान कैसे करेंगे। SC ने 18 मई को भारती एयरटेल, वोडाफोन, कॉन्सेप्ट और अलग-अलग सेल सर्विस सप्लायर्स को यंत्रवत् रूप से DoT के बकाया बकाए के लिए नारा दिया था। कोर्ट रूम ने कहा कि उन्हें जिज्ञासा के साथ बकाया का भुगतान करना होगा।
एक अनुमान के जवाब में यह मात्रा 1.6 लाख करोड़ है। इससे पहले, सुप्रीम कोर्ट ने संघीय सरकार को बकाया राशि का फिर से आकलन करने के लिए इन व्यक्तिगत दूरसंचार ऑपरेटरों को अनुमति देने के लिए दूरसंचार विभाग को अतिरिक्त रूप से फटकार लगाई थी। कोर्ट रूम ने कहा था कि 24 अक्टूबर 2019 का आदेश समायोजित सकल आय (एजीआर) आय की गणना के मामले में अंतिम है।
COMMENTS