प्रकृति का कार्य हमेशा नियमों के अंतर्गत ही होता है। मौसम में परिवर्तन भी प्रकृति का शाश्वत नियम है। शीत, ग्रीष्म और वर्षा की कठिनाइयों के साथ प्रकृति हमें बसंत और शिशिर का आनंद भी देती है। जहाँ शीत की गुनगुनी धुप और वर्षा की रिमझिम फुहारें मन को मोह लेती हैं, वही ग्रीष्म काल की भीषण गर्मी में त्रासदायक प्रतीत होती है, परन्तु यदि हम गर्मियों में कुछ बातों का ध्यान रखें तो इस भीषण गर्मी के दुष्प्रभावों से काफी हद तक बच सकते हैं।
प्याज और पानी का सेवन गर्मी के मौसम में अधिक से अधिक करना चाहिए। प्याज का सेवन आपको कड़ी धूप में ल लगने से बचाता है। दिन भर में कम से कम 10-12 गिलास पानी तो गर्मियों में अवश्य ही पीन चाहिए। पानी से शरीर की चयापचय क्रिया सुचारू रूप से चलती रहती हैं, जिससे जी मिचलाना, सिरदर्द, उल्टी, अपचन जैसी कई व्याधियों से बचा जा सकता है। गर्मियों में जहाँ तक हो बाजार से शीतल पेय और फलों के रस का कम से कम सेवन करना चाहिए। शीतल पेय अत्यधिक ठंडे होने के कारण एक ओर तो आपका गला खराब कर सकते हैं। वहीं ये पाचन के लिए भी हानिप्रद होते हैं। शीतल पेय के बदले नीबू की शिकंजी आम का पना या सिर्फ पानी का भी उपयोग किया जा सकता है। उचित भोजन एवं उचित परिधानों के चयन के बाद मेकअप पर ध्यान देना भी जरूरी है।
हल्का मेकअप करें
गर्मियों में हल्का मेकअप देखने में तो अच्छा लगता ही है साथ ही हल्का मेकअप पसीने से बहेगा भी नहीं। अन्यथा यदि आप ढेर सा मेकअप कर लेंगी तो वह पसीने के कारण जल्दी ही बहने लगेगा और आप भद्दी एवं फूहड़ नजर आने लगेंगी। बालों की सफाई के साथ-साथ यह भी आवश्यक है कि गर्मियों में बालों को खुला न रखें बाल खुले रहने से उनमें पसीना अधिक आयेगा। यह पसीना धूल के साथ मिलकर बालों को जल्दी गंदा कर देगा। इसके अलावा खुले बालों से गर्दन और पीठ पर भी अधिक पसीना आएगा। जो कि पीठ पर घमोरियाँ और फुंसियों को जन्म देता है। इसके लिए बेहतर है कि आप अपने बालों को ऊँचे जूड़े या चोटी की शक्ल में बाँध दें। गर्मियों में यदि आप सुबह और शाम दोनों समय स्नान करें तो स्वयं को काफी तरोताजा महसूस करेंगी।
गर्मियों में वस्त्रों का चयन भी आपको कई परेशानियों से बचा जा सकता है। गर्मियों में तंग वस्त्र कई परेशामियों को जन्म देते हैं, इसलिए ढीले-ढाले सूती वस्त्रों का चयन सुविधाजनक होता है। वस्त्रों का रंग भी गर्मियों में त्वचा पर असर डालता है। काले, चटक लाल या नीले वस्त्र में आपको अधिक गर्मी का सामना करना पड़ता है। इनकी अपेक्षा सफेद, गुलाबी, इल्के पीले और आसमानी रंगों वाले ढीले सूती वस्त्र आपको सुविधा तो देंगे ही साथ ही ये त्वचा का पसीना भी सोख लेते हैं। इन सब बातों के अलावा कुछ छोटी छोटी बातें और भी हैं जिन्हें जानते तो आप और हम भी हैं पर अपनाने में जरा हिचकते हैं थोड़ा दृढ़ निश्चय कीजिए और इन्हें भी अपने आप गर्मियों में बाहर जाने से दस पन्द्रह मिनिट पहले कूलर पंखे बंद कर दें।
घर में फलों से बनी आइसक्रीम खाएं तथा शीतल पेय पदार्थ और पानी अधिक से अधिक पियें। फ्रिज की जगह सुराही या मटके के पानी का उपयोग करें। हमेशा कूलर पंखे के सामने न बैठकर प्रतिदिन सुबह शाम खुली हवा में टहलने का अवश्य ध्यान रखें। गर्मियों में घर से बाहर जाते समय भरपेट पानी पीकर ही बाहर निकलें। गर्मियों में दही की लस्सी तथा छाछ का उपयोग भी पेय पदार्थ के रूप में लिया जा सकता है। गर्मी से तो सभी महिलायें परेशान रहती हैं, पर यदि थोड़ी सावधानी से काम लिया जाये तो आप गर्मियों में बहुत सी परेशानियों से बच सकती है। गर्मियों में बाहरी वातावरण गर्म होने के कारण शरीर से पसीना निकलता है, साथ ही कई अन्य क्रियाओं से शरीर में पानी की कमी हो सकती है। शरीर में पानी भोजन के पाचन में बहुत मदद करता है। पानी की कमी के कारण अधिकांश महिलाओं की पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है। पाचन शक्ति सही रखने के लिए इस मौसम में तली चीजों, चाट, पकौड़ी और भारी भोजन के साथ सलाद, खिचड़ी, दलिया, उबली सब्जियाँ, टमाटर का सूप आम और इमली का पना, पुदीने की चटनी, रायता, दही आदि का सेवन आपकी पाचन शक्ति को सुचारु बनाये रखता है। गर्मी के मौसम में नीबू की शिकंजी, शर्बत और फलों के रस का सेवन भी काफी अच्छा रहता है। यदि ये सब चीजें घर की बनी हो तो बहुत अच्छा रहता है।
पानी की स्वच्छता का रखें विशेष ध्यान
गर्मियों में तालाब-सरोवर वगैरह प्रायः शुष्क हो जाते हैं। कीचड़ अधिक हो जाता है, जानवरों के मृत देह सड़कों रहते हैं, मानव एवं जन्तुओं का मल-मूत्र प्रदूषण को बढ़ावा देता है इसलिए याद रखिए ऐसे स्थानों पर जाकर नहाना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यदि आपको यकीन हो कि नल में जो पानी आता है, वह शुद्ध नहीं होता है, अर्थात दूषित होता है तो एक बाल्टी पानी में चार चुटकी ब्लीचिंग पाउडर मिलाकर फिर कपड़े से उस पानी को छानकर नहाना चाहिए। नहाते वक्त पानी में आधा टुकड़ा नींबू का रस निचोड़ा जाए तो शरीर की बदबू दूर हो सकती है। अच्छे ब्रांड का साबुन इस्तेमाल किया जा सकता है। खौलकर ठंडा किए गए पानी से खाना ज्यादा अच्छा है, इससे संक्रमण की संभावना कम हो जाती है। गर्मी के मोसम है, शरीर थोड़ा गीला रह गया तो क्या हुआ-ऐसा नहीं सोचना चाहिए। शरीर गीला हो या कपड़े गीले हों तो सर्दी-जुकाम की संभावना बढ़ जाती है। नहाने के बाद सूखे व साफ सुथरे कपड़े पहने जाने चाहिए। गर्मी का मौसम जितना अधिक आरामदायक है, उतना ही कष्ट दायक भी है। शरीर भारी भरकम कपड़ों से लदा नहीं रहता, स्वच्छ ताजी हवा खाने का आतुर रहता है। स्वादिष्ट आम जिह्वा से पानी टपका देता है दार्जिलिंग व शिमला जैसे मनमोहक पर्यटन स्थल आपको आमन्त्रण देते हैं मगर गर्मी के मौसम में प्रतिकूल परिस्थितियाँ भी कम नहीं। गर्मी की दोपहर दावानल की तरह अग्नि उगलती है लू के चलने से प्राण तड़पने लगते हैं। चेचक, हैजा, टाइफाइड, मलेरिया जैसी बीमारियां घर में जम जाती है।
मच्छर, मक्खियों से रहें सावधान
गर्मी में दिन के समय मक्खियों का आतंक रहता है तो रात के समय मच्छरों का। खाना मक्खियों की पहुँच से दूर रखना चाहिए। इन दिनों दस्त, हैजा जैसी बीमारियां फैल सकती हैं। मक्खियों से बचने के लिए यह आवश्यक है कि खाद्य सामग्री फर्श पर बिखरी व फैली नहीं रहने देना चाहिए। हैजा या दस्त के मरीज को साफ सुथरा रखना चाहिए। कचरा या गंदगी घर के आस-पास नहीं फेंकी जानी चाहिए। गुसलखाने व शौचालय को समय-समय पर साफ कर या साफ करवाकर मक्खियों व मच्छरों से बहुत हद तक बचा जा सकता है। आवश्यकता पड़ने पर स्वास्थ्य विभाग की मदद ली जा सकती है।
बासी और ताली चीजों के सेवन करने से बचें
गर्मियों में बासी भोजन शरीर के लिए हानिकारक है। तली हुई चीजों व बाजारु खाद्य पदार्थों से परहेज करना चाहिए भोजन ढक कर रखा जाना चाहिए। सादा व ताजा भोजन, ढक कर रखा जाना चाहिए। सादा व ताजा भोजन, आम अंगूर, दूध, दही इत्यादि स्वास्थ्यवर्धक है। जिस तरह दूषित पानी से नहाने-धोने से स्वस्थ होने का भय बना रहता है उसी प्रकार खान-पान में दूषित पानी का उपयोग भी शरीर को अस्वस्थ करता है। भोजन बनाने के लिए शुद्ध किया हुआ पानी सुरक्षित होता है। पीने के वास्ते नलकूप का पानी सबसे ज्यादा सुरक्षित होता है। अति ठंडा पेय विज्ञान व पाश्चात्य सभ्यता की देन है मगर सामान्य तापमान पाला पेय हितकारक होता है। लस्सी, नींबू का शरबत, आम का शरबत, संतरे का रस आदि परम्परागत पेय पुष्टिकारक है। धूप में निकलने वालों के लिए हल्के रंग के कपड़े आदर्श है। सूती वस्त्र सर्वाधिक उपयुक्त है, क्योंकि इसमें पसीने को सोखने की क्षमता होती है। सूती वस्त्रों के उपयोग से घमोरियों व खुजली की शिकायत कम हो जाती है। तेज धूप से आँखों को बचाने के लिए काले चश्मे का प्रयोग किया जा सकता है।
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