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प्रतिकात्मक फोटो |
काठमांडो। नेपाल में कुछ बैंक और व कंपनियां कथित तौर पर विदेशों से संदिग्ध रूप से मिले धन को स्थानांतरित करने में शामिल हैं। ये खुलासा सेंटर फॉर इंवेस्टिगेटिव जर्नलिज्म (सीआईजे), नेपाल व इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इंवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट (आईसीआईजे) तथा बजफीड द्वारा की गई एक जांच में हुआ है नेपाली बैंकों-कंपनियों ने अमेरिकी प्रतिबंधों से बचकर उसे धोखा देते हुए चीन और ईरान को लाभ पहुंचाया। रिपोर्ट के मुताबिक, ईरान और चीन के साथ होने वाले व्यापार में नेपाली कंपनियों और बैंकों की भागीदारी को अमेरिकी प्रतिबंधों को धोखा देने की - कोशिश में शामिल बताया गया है। वित्तीय अपराध प्रवर्तन नेटवर्क द्वारा । तैयार एक शीर्ष गोपनीय दस्तावेज के आधार पर अमेरिका में वित्तीय । लेनदेन प्रणाली की निगरानी में र शामिल एक सरकारी निकाय की इस ने जांच रिपोर्ट को 'फिनकेन फाइल्स' नाम दिया गया है।
इस रिपोर्ट के मुताबिक दिसंबर 2006 और मार्च 2017 के बीच नेपाल की 9 बैंक, 10 कंपनियां और विभिन्न व्यक्ति सीमा पार व्यापार के नाम पर संदिग्ध धन को नेपाल से स्थानांतरित करने में शामिल पाए गए। इससे पता चलता है कि कुछ नेपाली व्यापारिक संस्थाएं सोने, प्राचीन वस्तुओं, कोलतार और दूरसंचार उपकरणों की अंतरराष्ट्रीय तस्करी से जुड़ी हुई हैं।
11 साल में 29.27 करोड़ : डॉलर का संदिग्ध लेनदेन
25 पन्नों की जांच रिपोर्ट में नेपाल की स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक, प्राइम कमर्शियल बैंक, बैंक ऑफ काठमांडू, नेपाल इन्वेस्टमेंट बैंक, एवरेस्ट बैंक, में बैंक, हिमालयन बैंक, कास्की के एपेक्स डेवलपमेंट बैंक और नेपाल बांग्लादेश बैंक शामिल हैं। इन बैंकों ने 10 कंपनियों के साथ 11 वर्ष की अवधि में मनी ट्रांसफर द्वारा 29.27 करोड़ डॉलर का संदिग्ध लेनदेन किया। 10 कंपनियों में रनिया ब्रदर्स एंड कंपनी, शास्ता ट्रेडिंग कंपनी, वुमन पेपर क्राफ्ट्स, एक्मे मनी ट्रांसफर सर्विस और सनी एंटरप्राइजेज के अलावा सुभासमृद्धि ट्रेडर्स, सेटिदेवी एक्सपोर्ट-इंपोर्ट, एलडी इंटरनेशनल और फेल्ट व यार्न कंपनियां शामिल पाई गईं
अमेरिकी रोक से बचने को कई साजिशें की
ZTE नामक कंपनी ने बीजिंग स्थित चायना कंस्ट्रक्शन बैंक के जरिए लेनदेन किया था इस बैंक की अमेरिका स्थित न्यूयॉर्क शाखा ने पाया था कि लेनदेन की गई यह राशि संदिग्ध थी। फिनकेन फाइल्स के मुताबिक, चार नवंबर 2013 से 27 फरवरी 2017 तक तीन साल और चार माह की अवधि में ZTE ने नेपाल निवेश बैंक में भी कुछ राशि जमा की थी। फिनकेन के मुताबिक पांच साल तक चली इस जांच में कई साजिशों का पता चला जो इस कंपनी ने अमेरिकी प्रतिबंधों से बचने के लिए की थीं। यह कंपनी अमेरिका से दूरसंचार उपकरण की खरीद करती है और ईरान को अवैध तरीके से बेचती है।
विवाद के केंद्र में नेपाल का रौनियार परिवार
विवाद के केंद्र में नेपाल का रौनियार परिवार है। इसी ने पेट्रोलियम के आयात-निर्यात के नाम पर संदिग्ध रकम का लेनदेन किया। कंपनी ईरान से सामान खरीदती है जबकि ईरान पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगाया हुआ है। मजेदार बात यह है कि ईरान से मंगाए गए सामान को कागज में दुबई से मंगाया गया सामान बताया जाता है।
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