नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को शापूरजी पालोनजी (एसपी) समूह (Shapoorji Pallonji group) और साइरस मिस्त्री को 28 अक्टूबर तक टाटा संस प्राइवेट लिमिटेड के शेयरों को गिरवी रखने या स्थानांतरित करने से रोक दिया है। चीफ जस्टिस एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय पीठ ने टाटा संस या एसपी समूह को उन शेयरों पर भी 28 अक्टूबर तक कोई कदम नहीं उठाने का आदेश दिया है, जो पहले ही गिरवी रखे जा चुके हैं। सुनवाई 28 अक्टूबर को होगी।
टाटा समूह और एसपी समूह के बीच इन शेयरों को लेकर एक साल से वाद चल रहा है। मिस्त्री परिवार के एसपी समूह की टीएसपी में 18.37% हिस्सेदारी है। पालोनजी मिस्त्री के बेटे साइरस मिस्त्री को 2012 में रतन टाटा की जगह टाटा संस का चेयरमैन बनाया गया था, लेकिन चार साल बाद 2016 में उन्हें अचानक पद से हटा दिया गया। तभी से उनकी टाटा समूह के साथ ठनी हुई है। टाटा समूह ने एसपी समूह की हिस्सेदारी खुद खरीदने का प्रस्ताव दिया था, जिसके लिए मिस्त्री परिवार तैयार नहीं है। एसपी समूह के वकील सी. सुंदरम ने शेयर गिरवी रखने से रोकने को अपने मुवक्किल के लिए बर्बादी बताया। इस पर टाटा संस के वकील हरीश साल्वे ने कहा, एसपी समूह इन्हें गिरवी रखकर कर्ज का भुगतान करना चाहता है। टाटा समूह को लगता है कि ऐसा करने में जोखिम है। इससे ऐसे निवेशकों के हाथ शेयर लग सकते हैं, जो आगे चलकर कंपनी के हितों के खिलाफ काम कर सकते हैं।
11 हजार करोड़ जुटाना चाहता है शापूरजी समूह
एसपी समूह की योजना विभिन्न फंड के जरिये मार्केट से 11 हजार करोड़ रुपये जुटाने की है। एसपी ग्रुप की मुख्य होल्डिंग कंपनी शापूरजी पालोनजी पर फरवरी के अंत तक 9,280 करोड़ (1.3 अरब डॉलर) का कर्ज था, जबकि पूरे ग्रुप पर मार्च 2019 तक 30,000 करोड़ से अधिक कर्ज था। उन्होंने कनाडाई निवेशक के साथ टाटा संस में कुछ हिस्सा बेच 3,750 करोड़ जुटाने की डील की थी। समूह की टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी है।
टाटा समूह विघटन की ओर, शापूरजी ने कहा...रिश्ता खत्म करने का सही समय
शापूरजी पालोनजी ग्रुप ने मंगलवार को कहा कि वह टाटा समूह के साथ अपना 70 साल पुराना रिश्ता खत्म करने तैयार है। कंपनी ने बयान जारी कर कहा, शापूरजी पालोनजी टाटा का 70 साल पुराना है यह पारस्परिक भरोसे और दोस्ती पर आधारित था।
मिस्त्री परिवार ने कहा कि टाटा संस से बाहर निकलने का सही समय है, जो शेयरधारकों के हित में है। कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में भी कह दिया है कि टाटा समूह से अलग होना जरूरी है, क्योंकि कानूनी लड़ाई से सिर्फ आर्थिक नुकसान होगा। लिहाजा भारी मन से मिस्त्री परिवार यह मानता है कि सभी हितधारक समूह के लिए हमारा अलग हो जाना ही अच्छा होगा। दोनों समूह अलग होने का मूल्यांकन बाद में करेंगे और पूरी पारदर्शिता के साथ इस पर बढ़ा जाएगा। टाटा संस में शापूरजी ग्रुप की हिस्सेदारी करीब 1.78 लाख करोड़ रुपये की है।
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