आखिर यूपी सरकार झुकी और मीडिया को गांव में जाने की अनुमति दी गई। मीडिया से पीड़िता की भाभी ने बातचीत में कई खुलासे किए हैं। पीड़िता की भाभी ने कहा है कि एसआईटी की टीम परसों उनके घर आई थी और उनसे पूछताछ की थी।
पीड़िता के परिवार ने कहा है कि डीएम ने उनसे अभद्रता से बात की। उन्होंने कहा, डीएम प्रवीण कुमार ने कहा कि अगर तुम्हारी बेटी की कोरोना से मौत हो जाती तो तुम्हें मुआवजा मिल जाता। पीड़िता के परिवार ने कहा कि एसआईटी भी मिली है। उन्हें भरोसा नहीं है। पीड़िता की मां और भाभी की एक ही मांग है कि उन्हें इंसाफ मिलना चाहिए।
पीड़िता की मां ने कहा है कि वे अपनी बेटी को आखिरी वक्त में मिट्टी भी नहीं दे सकी। उनका चेहरा भी नहीं देख सकी। पीड़िता की भाभी ने तो यहां तक कहा कि उस रात को उनकी ननद का अंतिम संस्कार भी नहीं हुआ था। हमें नहीं पता पुलिस ने किसका शव जलाया है। पीड़िता की भाभी ने कहा कि उन्हें बाहर नहीं दिया जा रहा था क्योंकि उन्हें डर था कि वे लोग सच्चाई मीडिया को न बता दें। पीड़िता की भाभी इस वक्त बेहद परेशान हैं। उन्होंने कहा कि उनका परिवार नार्को टेस्ट नहीं करवाएगा। नार्को टेस्ट डीएम का करवाना चाहिए। उन्होंने सीबीआई जांच की मांग से भी इनकार किया।
पीड़िता की भाभी ने कहा कि जो लोग यहां रहे हैं राजनीति के लिए आ रहे हैं। लोग चाहते हैं कि ये सरकार गिर जाए तो दूसरी सरकार बना लें, लेकिन हमें राजनीति से कोई मतलब नहीं है। पीड़िता की भाभी ने कहा कि जब उन्होंने बॉडी देखने की मांग की तो डीएम ने कहा कि आपको पता है पोस्टमार्टम के बाद डेड बॉडी का क्या हाल हो जाता है, हथौड़े से मारकर हड्डियां तोड़ दी जाती है। ऐसी लाश को तुमलोग देख पाते। 10 दिन तक खाना नहीं खा पाते। डीएम उन्हें बार बार कह रहे थे कि तुम्हें मुआवजा तो मिल गया। तुम्हारे खाते में कितना पैसा आया है, तुम्हें पता है?
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