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हाथरस के DM प्रवीण कुमार लक्षकार पर पीड़ित परिवार को धमकाने के साथ मीडियाकर्मियों के साथ भी अभद्रता का आरोप लगाया गया है। परिजन भी डीएम पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। |
एसोसिएशन के सूत्रों की मानें तो एकतरफा कार्रवाई सिर्फ पुलिस वालों पर की गई है जबकि जिम्मेदारी पूरे प्रशासन पर तय होनी चाहिए। एसोसिएशन का कहना है कि जब एसपी पर कार्रवाई हो सकती है तो डीएम पर क्यों नहीं? अगर कोई लापरवाही हुई है तो अकेले पुलिस महकमा कैसे जिम्मेदार है? जबकि आदेश प्रशासनिक होते हैं और पुलिस महकमा उसे लागू करवाता है। डीजीपी और होम सेक्रेट्री जब मौके पर गए थे तो डीजीपी हितेश अवस्थी ने यह बात कही थी कि डीएम के आदेश थे। कुल मिलाकर हाथरस मामले ने आईएएस और आईपीएस एसोसिएशन के बीच दरार पैदा कर दी है।
हाथरस मामले में एसपी, डीएसपी पर गाज गिरी थी। दोनों को सस्पेंड कर दिया गया था। इसके अलावा, आदेश दिया गया था कि सभी का नार्को पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराया जाएगा। इसमें पीड़िता का परिवार भी शामिल है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्राथमिक जांच रिपोर्ट के आधार पर मौजूदा एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर और कुछ अन्य के खिलाफ सस्पेंशन की कार्रवाई करने के निर्देश दिए थे। एसआईटी की रिपोर्ट में हाथरस के पुलिस अधीक्षक विक्रांत वीर पर लापरवाही का आरोप लगा था।
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