हरियाणा सरकार को ज्यादा कीमत पर टायर बेचने के आरोप के बाद अब जे के टायर (J K Tyre) सहित कई टायर कंपनियां अब सी.सी.आई. की रडार पर हैं
भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सी.सी.आई.) जे के टायर के साथ कई अन्य टायर कम्पनियों की जांच कर रहा है। यह जांच हरियाणा सरकार द्वारा लगाए गए आरोप के बाद शुरू हुई है। पहले यह जांच केवल जे के टायर के खिलाफ थी, बाद में दूसरी कम्पनियों तक बढ़ा दी गई।
जे के टायर पर आरोप था कि उसने हरियाणा सरकार को ज्यादा कीमत पर टायर बेचे थे। जानकारी के मुताबिक हरियाणा सरकार ने पिछले साल कम्पनी पर आरोप लगाते हुए कहा था कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट वाहनों के लिए टायरों की सप्लाई में जे के टायर अनफेयर ट्रेड प्रैक्टिस में शामिल था।
इसी के बाद सी.सी.आई. ने इसकी जांच शुरू की थी। सी.सी.आई. की मांग पर जे के टायर ने कोर्ट में इस मामले में जवाब दिया था। इस फाइलिंग में यह पता चला कि पहले की फाइलिंग में कुछ बातें नहीं दी गई थी। हालांकि सी.सी.आई. ने वर्तमान जांच के बारे में कोई खुलासा नहीं किया।
जे के टायर अकेली बिडर थी
फाइलिंग डॉक्यूमैंट के मुताबिक हरियाणा सरकार ने कहा कि पब्लिक ट्रांसपोर्ट के टैंडर के लिए केवल जे के टायर ही बिडर थी।इस कंपनी ने टायरों को काफी ज्यादा कीमत उस समय बताई थी। सी.सी.आई. ने नवंबर में इसकी जांच का आदेश दिया था और कहा था कि इसमें कई और टायर कंपनियां भी शामिल हैं। हालांकि इस मामले में जे के टायर ने कोई जवाब देने से मना कर दिया क्योंकि मामला कोर्ट में है।
फायदे का 3 गुना लग सकता है जुर्माना
सूत्रों के मुताबिक सी.सी.आई. अगर इन आरोपों को सही पाती है तो इन कम्पनियों पर हर साल ज्यादा कीमतों से जितना फायदा हुआ है, उसका 3 गुना उन पर जुर्माना लग सकता है या फिर सालाना रैवेन्यू का 10 प्रतिशत फाइन लग सकता है। इसमें से जो ज्यादा होगा उसी को लागू किया जाएगा।
जे के टायर की मार्कीट वैल्यू 19 करोड़ डॉलर है। इसकी अलग-अलग 1. टायर सेगमैंट में 30 से 36 प्रतिशत बाजार हिस्सेदारी है।
सी.सी.आई. ने इस साल जांच के लिए कम्पनी के सीनियर अधिकारियों के ई-मेल की मांग की थी ताकि इसकी जांच की जा सके। कोर्ट इस मामले में 28 अक्टूबर को सुनवाई करेगी।
अगस्त में हुई थी जांच शुरू
गौरतलब है कि इस साल अगस्त में सी.सी.आई. ने अन्य टायर कम्पनियों की भूमिका की जांच करने का फैसला किया था। इस वजह से अपनी जांच इसने अपोलो टायर, सिएट टायर, एम.आर.एफ. टायर और फ्रांस की भारतीय यूनिट मिशलिन तथा जर्मनी की कांटिनेंटल तक बढ़ा दी थी। हालांकि इस मामले में यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि सी.सी.आई. ने इन टायर कम्पनियों से संपर्क किया है या नहीं।
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